शुक्रवार, 2 अगस्त 2019

कंप्यूटर की सामान्य जानकारी part (3)

कंप्यूटर की सामान्य जानकारी यहां पर हम आपको कंप्यूटर का पार्ट 3 यानी कंप्यूटर की आगे की जानकारी देंगे शुरू करते हैं|

         

5.महत्वपूर्ण प्रोग्रामिंग भाषाएं

परिचय (Introduction)
कम्प्यूटर एक मशीन है और वह हमारी बोलचाल की भाषा को समझ नहीं सकता। इसके लिए प्रोग्राम, विशेष प्रकार की भाषा में लिखे जाते हैं। इन भाषाओं को प्रोग्रामिंग लैंग्वेज के नाम से जानते हैं। आजकल ऐसी सैकड़ों भाषाएं प्रचलन में हैं। ये भाषाएं कम्प्यूटर और प्रोग्रामर के बीच संपर्क या फिर संवाद स्थापित करने का काम करती हैं। कम्प्यूटर उन्हीं के माध्यम से दिए गए निर्देशों को समझकर काम करता है। कम्प्यूटर द्वारा किए जाने वाले अलग अलग कार्यों के लिए अलग-अलग तरह की लैंग्वेज का इस्तेमाल किया जाता है। इनमें कुछ प्रमुख प्रोग्रामिंग लैंग्वेज इस प्रकार हैं-

लो-लेवल लैंग्वेज (Low Level Languages)
वे लैंग्वेज जो कम्प्यूटर की आंतरिक कार्यप्रणाली को ध्यान में रखकर बनाई गई हंै लो लेवल लैंग्वेज कहलाती हैं। इसमें प्रोग्राम लिखने वाले व्यक्ति को कम्प्यूटर की आंतरिक क्रिया प्रणाली की जानकारी होना आवश्यक है। इसको निम्न स्तरीय लैंग्वेज इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसमें प्रोग्राम लिखना पूरी तरह से उस कम्प्यूटर पर निर्भर करता है जिस पर यह लिखा जा रहा है। इस लैंग्वेज को पुन: दो अन्य भाषाओं में बांटा जा सकता है।
1. मशीन लैंग्वेज (Machine Languages)
कम्यूटर एक मशीन है जो केवल विद्युत संकेतों को ही समझ सकती है। इन विद्युत संकेतों को ऑफ या 0(शून्य) व ऑन या 1(एक) द्वारा प्रदर्शित किया जाता है। इन अंको के बायनरी अंक कहते हैं। कम्प्यूटर केवल इन बाइनरी अंकों में दिए गए निर्देशों को समझ सकता है। इन बाइनरी अंको से बनी लैंग्वेज को हम मशीन लैंग्वेज कहते हैं। जैसे- 0100100011100110011
2. असेंबली लैंग्वेज (Assembly Languages) -
अंसेबली लैंग्वेज वे भाषाएं होती हैं जो पूरी तरह से मशीन लैंग्वेज पर आधारित होती हैं। लेकिन इनमें 0 व 1 की सीरीज के स्थान पर अंग्रेजी के कुछ अक्षरों व कुछ चुने हुए शब्दों का कोड के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। इन कोडों को नेमोनिक कोड या शाब्दिक कोड के नाम से जाना जाता है।
3. हाई लेवल लैंग्वेज (High Level Languages)
जैसा कि लो-लेवल लैंग्वेज के लिए बताया गया कि प्रोग्राम लिखने के लिए कम्प्यूटर की आंतरिक कार्यप्रणाली का ज्ञान होना जरूरी है। दूसरा प्रत्येक कम्प्यूटर की अपनी अलग मशीनी भाषा और असेम्बली भाषा होती है। अत: एक तरह के कम्प्यूटर के लिए इन भाषाओं में लिखा गया प्रोग्राम दूसरी तरह के कम्प्यूटरों के लिए बेकार हो जाता है। अत: ऐसी प्रोग्रामिंग भाषाओं का विकास किया गया जो सिस्टम की आंतरिक कार्यप्रणाली पर आधारित न हो और जिनमें लिखे गए प्रोग्रामोंको किसी भी प्रकार के सिस्टम पर चलाना संभव हो। इन भाषाओं को हाई लेवल भाषा कहा जाता है। हाई लेवल प्रोग्रामिंग भाषा में इंग्लिश के चुने हुए शब्दों व साधारण गणित में प्रयोग किए जाने वाले चिह्नों का प्रयोग किया जाता है। इन भाषाओं में प्रोग्राम लिखना उनमे गलतियों का पता लगाना और उनको सुधारना लो लेवल भाषा की तुलना में आसान होता है। सभी प्रोग्राम हाई लेवल भाषा मे ही लिखे जाते हैं। 
हाई लेवल प्रोग्रामिंग भाषाओं को भी उनकी प्रकृति के अनुसार दो श्रेणियों में बांटा जा सकता है।

1. विधि अभिमुखी भाषाएं (Procedure Oriented Languages)
2. समस्या अभिमुखी भाषाएं (Problem Oriented Languages)
प्रमुख हाई लेवल लैंग्वेज:
1. बेसिक
2. फोरट्रॉन
3. लोगो
4. कोबोल
5. पास्कल
6. सी
7. सी++
8. अल्गोल
9. कोमाल
10. पायलट
11.स्नोबॉल
12. प्रोलॉग
13. फोर्थ जेनरेशन लैग्वेज (4जीएल)



6.इंटरनेट

परिचय (Introduction)

इंटरनेट से तात्पर्य एक ऐसे नेटवर्क से है जो दुनिया भर के लाखों करोड़ों कम्प्यूटरों से जुड़ा है। कहने का मतलब यह है कि किसी नेटवर्क का कोई सिस्टम किसी अन्य नेटवर्क के सिस्टम से जुड़ कर कम्यूनिकेट कर सकता है। अर्थात सूचनाओं का आदान-प्रदान कर सकता है। सूचनाओं के आदान प्रदान के लिए जिस नियम का प्रयोग किया जाता है उसे ट्रांसमिशन कंट्रोल प्रोटोकॉल या इंटरनेट प्रोटोकॉल (टीसीपी/आईपी) कहा जाता है।

इंटरनेट की सेवाएं

इसकी सेवाओं में कुछ का जिक्र यहां किया जा रहा है-

फाइल ट्रांसफर प्रोटोकॉल (एफ टी पी)- फाइल ट्रांसफर प्रोटोकॉल का उपयोग एक कम्प्यूटर नेटवर्क से किसी दूसरे कम्प्यूटर नेटवर्क में फाइलों को ट्रांसफर करने के लिए किया जाता है।

इलेक्ट्रॉनिक मेल ई-मेल- इसको संक्षिप्त रूप से ई-मेल कहा जाता है। इस माध्यम के द्वारा बड़ी से बड़ी सूचनाओं व संदेशों को इलेक्ट्रॅनिक प्रणाली द्वारा प्रकश की गति से भेजा या प्राप्त किया जा सकता है। इसके द्वारा पत्र, ग्रीटिंग या सिस्टम प्रोग्राम को दुनिया के किसी भी हिस्से में भेज सकते हं।

गो-फोर- यह एक यूजर फ्रैंडली इंटरफेज है। जिसके जरिए यूजर, इंटरनेट पर प्रोग्राम व सूचनाओं का आदान प्रदान किया जा सकता है। गोफर के द्वारा इंटरनेट की कई सेवाएं आपस में जुड़ी होती है।

वल्र्ड वाइड वेब (www)- इसके द्वारा यूजर अपने या अपनी संस्था आदि से सम्बंधित सूचनाएं दुनिया में कभी भी भेज सकता है, और अन्य यूजर उससे सम्बंधित जानकारियां भी प्राप्त कर सकता है।

टेलनेट- डाटा के हस्तांतरण के लिए टेलनेट का प्रयोग किया जाता है। इसके द्वारा यूजर को रिमोट कम्प्यूटर से जोड़ा जाता है। इसके बाद यूजर अपने डाटा का हस्तांतरण कर सकता है। टेलनेट पर कार्य करने के लिए यूजर नेम व पास वर्ड की जरूरत होती है।

यूजनेट- अनेक प्रकार की सूचनाओं को एकत्र करने के लिए इंटरनेट के नेटवर्क, यूजनेट का प्रयोग किया जाता है। इसके माध्यम से कोई भी यूजर विभिन्न समूहों से अपने लिए जरूरी सूचनाएं एकत्र कर सकता है।

वेरोनिका- वेरोनिका प्रोटोकॉल गोफर के माध्यम से काम करता है। यूजर, गोफर व वेरोनिका का प्रयोग एक साथ करके किसी भी डाटा बेस पर आसानी से पहुंच सकता है। इनके प्रयोग से जरूरी सूचनाएं तेजी से प्राप्त की जा सकती हैं।

आर्ची- फाइल ट्रांसफर प्रोटोकॉल (एफटीपी) में स्टोर फाइलों को खोजने के लिए आर्ची का प्रयोग किया जाता है।

7.कंप्यूटर नेटवर्क

एक कंप्यूटर नेटवर्क क्या है?

एक कंप्यूटर नेटवर्क कई कंप्यूटरों जानकारी और संसाधनों को साझा करने के लिए एक दूसरे से जुड़े हुए हैं, जिनमें एक प्रणाली है.

विशेषताएँ

एक कंप्यूटर से दूसरे को शेयर संसाधन
फ़ाइलें बनाएँ और एक कंप्यूटर में स्टोर, नेटवर्क पर जुड़े अन्य कंप्यूटर (एस) से उन फ़ाइलों का उपयोग
नेटवर्क के भीतर एक कंप्यूटर के लिए एक प्रिंटर, स्कैनर, या एक फैक्स मशीन कनेक्ट और नेटवर्क के अन्य कंप्यूटर नेटवर्क पर उपलब्ध मशीनों का उपयोग करते हैं.
निम्नलिखित एक कंप्यूटर नेटवर्क स्थापना के लिए आवश्यक हार्डवेयर की सूची है.

1. नेटवर्क केबल्स
2. वितरक
3. राऊटर
4. आंतरिक नेटवर्क कार्ड
5. विदेश नेटवर्क कार्ड

                       NOTE
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